Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -13-Feb-2022

प्रेम
रह जाता है
अप्रेम
जब तय करनी होती है परिमित दूरी
और पाना होता है अपरिमित प्रेम।

प्रेम
हो जाता है
क्षीण
जब वो अस्थिर पृथ्वी के
दो ध्रुवों पर हो जाता है स्थिर।

प्रेम
केवल शब्द है
यदि
उसे मापनी है धरती की दूरी
पत्थरों और हृदयों के मध्य गतिशील।

प्रेम
हो जाता है
मृत
जब उत्कंठा हो स्पर्श की
स्व-रक्त हो जाता है हत्यारा।

प्रेम
तभी अमृत है
जब
ईश्वर की स्थिरता सा है
एक कोशिका में भी

और अनंत तक विशाल
जो ये मानसिक प्रेम
बन जाये जो ईश्वरीय
उत्कंठा हो जाये समाप्त
प्रेम हो जाये अ-मृत।
-0-

   12
4 Comments

Abhinav ji

14-Feb-2022 10:46 AM

Nice

Reply

Shrishti pandey

14-Feb-2022 09:21 AM

Nice

Reply

Punam verma

14-Feb-2022 08:26 AM

Nice

Reply